1. पृष्ठभूमि
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राज्य में बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पूँजी निवेश, रोजगार सृजन एवं राज्य की ग्रामीण आय में वृद्धि के लिए काफी संभावनाएं हैं। भारत में खाद्यान्न, बागवानी उत्पाद, दूध एवं मांस के कुल उत्पादन के मामलों में कृषि क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान है। बड़े बाजार, उत्पादन की कम लागत एवं मानव संसाधन के अलावा कच्ची उपज की पर्याप्त उपलब्धता के कारण राज्य में बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए काफी संभावना है। इसलिए, राज्य को एक फूड पार्क राज्य में विकसित करना, उत्तर प्रदेश सरकार का संकल्प है।
उत्तर प्रदेश में विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में वर्ष भर खाद्यान्न, बागवानी, दुग्ध तथा अन्य कृषि उत्पाद हेतु प्रदेश के वृहद उत्पाद को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि अधिशेष (सरप्लस) उत्पाद को मूल्य संवर्द्धन श्रृंखला में परिवर्तित करते हुए प्रसंस्कृृत उत्पाद के रूप में आम जन के लिए सुलभ कराया जाय। प्रदेश में अपेक्षाकृत सहज उपलब्ध श्रम शक्ति, वृहद स्तर पर प्रसंस्करण योग्य उत्पाद एवं इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की असीमित सम्भावनाओं को देखते हुए प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का सुनियोजित विकास को बहुगुणित करने हेतु उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2017 की आवश्यकता है।
- 1.1 बढ़ते शहरीकरण, जनसंख्या में बढ़ोत्तरी, छोटे होते परिवार, पारिवारिक आय में वृद्धि तथा दैनन्दिनी जीवन में व्यस्तता के कारण बदलती आहार प्रवृत्ति के फलस्वरूप प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग में निरंतर वृद्धि दृष्टिगत् हुई है।
- 1.2 उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास, इस क्षेत्र में पूंजी निवेश, रोजगार सृजन एवं समस्त स्टेक होल्डर्स की आय में वृद्वि की असीम सम्भावनायें विद्यमान हैं।
- 1.3 उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अनुक्रम में प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना, विकास एवं प्रदेश में प्रसंस्करण के वर्तमान अवसर को समुन्नत करने के लिए उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 प्रख्यापित की जा रही है।
2. नीति का दृृष्टिक्षेत्र एवं कार्यान्वयन
3. खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के अन्र्तगत आच्छादित क्षेत्र:
4. प्राथमिकता के क्षेत्र
- 4.1 अवस्थापना सुविधाओं का विकास
प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास के लिए गुणवत्तापरक अवस्थापना सुविधाओं का होना नितान्त आवश्यक है। औद्योगिक निवेश एवं रोज़गार प्रोत्साहन नीति-2017 में आच्छादित अवस्थापना सुविधाएं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए भी उपलब्ध होंगी।
- 4.2 फूड प्रोसेसिंग जोन्स का चिन्हांकन
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए स्थानीय कच्चे माल की उपलब्धता एवं अनुकूलता के आधार पर फूड प्रोसेसिंग जोन का चिन्हांकन किया जायेगा। इन क्षेत्रों में अनुकूल खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता दी जायेगी। इन क्षेत्रों में फूड पार्क, मेगा फूड पार्क की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जायेगा। फूड पार्क राज्य के रूप में किसानों को उनकी उपज का समुचित मूल्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विकसित किये जाने का प्रयास किया जायेगा।
- 4.3 फूड प्रोसेसिंग पार्क, मेगा फूड पार्क एवं कोल्ड चेन सुविधा का विकास
राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लि0 (यू0पी0एस0 आई0डी0सी0) तथा निजी क्षेत्र के माध्यम से क्लस्टर आधारित क्षेत्रवार प्रदेश के सर्वांगीण विकास हेतु विशिष्ट क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग पार्क स्थापित किये जायेंगे, जहाॅ पर पैकेजिंग, निर्यात और रिसर्च की सुविधा उपलब्ध होगी। मेगा फूड पार्कों तथा कोल्ड चेन श्रृंखला आधारित अवस्थापना सुविधाओं को प्रदेश में उपयुक्त क्षेत्रों में स्थापित कराये जाने पर बल दिया जायेगा।
खाद्य प्रसंस्करण में मेगा परियोजना से आशय ऐसी परियोजनाओं से है, जिनमें रू. 50 करोड़ या उससे अधिक निवेश निहित हो।
- 4.4 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापना हेतु अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना
- (1) राज्य सरकार प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना हेतु उद्यमियों की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सजगता से प्रयास करेगी।
- (2) उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 में औद्योगिक वातावरण में सुधार के अन्तर्गत नियमों एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण के अन्तर्गत श्रम विभाग, ऊर्जा विभाग, पर्यावरण विभाग, वाणिज्य कर विभाग, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग तथा अन्य विभागों से सम्बन्धित प्राविधान इस नीति के अन्तर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए भी सुलभ होंगे।
- (3) ई-गवर्नेंस के अन्तर्गत खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण को सुदृढ़ किया जायेगा ताकि इण्टरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान प्रदान सरलता से हो सके और उद्यमियों को समस्त जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध करायी जा सके। यह केन्द्र फारवर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज को सुदृढ़ करने के लिए सेतु का कार्य करेंगे।
- 4.5 प्रक्रियाओं का सरलीकरण
- (1) उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा नीति के अन्तर्गत उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाओं विषयक प्रक्रिया को सरलीकृत कर लागू कराया जायेगा।
- (2)निवेशकों की सुविधा के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा उद्योग बन्धु की तर्ज पर एकल विण्डो सिस्टम विकसित किया जायेगा तथा मण्डल एवं जनपद स्तर पर भी निवेशकों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी प्रदान कराने की व्यवस्था की जायेगी।
5. पूँजी निवेश प्रोत्साहन
प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा इस नीति के अन्तर्गत अनुमन्य रियायतें एवं अनुदान के माध्यम से पँूजी निवेश आकर्षित किया जायेगा। प्रदेश में पूर्व से स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को तकनीकी आधुनिकीकरण/उन्नयन एवं उपलब्ध क्षमता को विस्तारित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित किया जायेगा।
6. रोजगार सृजन
प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के माध्यम से बेरोजगार व्यक्तियों को तकनीकी रूप सें दक्ष बनाते हुए प्रदेश में पूंजी निवेश एवं इकाईयों को स्थापना को प्रोत्साहित कराते हुए रोजगार सृजन कराने के प्रयास किये जायेंगे। स्वरोजगार सृजन हेतु ग्रामीण अंचलों में प्रशिक्षण की व्यवस्था कर इसको गृह उद्योग के रूप में विकसित किया जायेगा तथा इनको समूहों/एफ.पी.ओ./समितियों से जोड़कर उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करायी जायेगी।
खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आजीविका मिशन एवं दक्षता विकास कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा।
7. वित्तीय अनुदान एवं रियायतें
खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने हेतु एवं उद्योगों के विकास तथा प्रतिस्पर्धात्मक बनाये रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा समुचित कदम उठाये जायेंगे जिनमें निम्नलिखित वित्तीय अनुदान एवं रियायतें उपलब्ध करायी जायेंगी:-
- 7.1 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापनाः
- 7.1.1 पूँजीगत निवेश अनुदान:
- (क)
नीति के अन्तर्गत समस्त जनपदों में खाद्य प्रसंस्करण आधारित इकाईयों की स्थापना, विस्तारीकरण एवं आधुनिकीकरण/ उन्नयन पर प्लान्ट मशीनरी एवं तकनीकी सिविल कार्य की लागत का 25 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू. 50 लाख की सीमा तक अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।
उद्यमी के पास ज्ञात स्त्रोतों से परियोजना हेतु धनराशि की उपलब्धता होने की स्थिति में ऋण लेने की अनिवार्यता नहीं होगी।
- (ख)
भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर विकास स्कीम) के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में स्थापित होने वाली ऐसी खाद्य प्रसंस्करण आधारित इकाईयां (नवीन/विस्तारीकरण एवं आधुनिकीकरण/उन्नयन), जो इस नीति के प्रस्तर-3 से आच्छादित हो, को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत अनुदान धनराशि का 10 प्रतिशत अधिकतम 50 लाख की सीमा तक, अतिरिक्त पूंजीगत निवेश अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।
- (ग)
भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना में स्वीकृत उत्तर प्रदेश की मेगा फूड पार्क/एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर परियोजनाओं, को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत अनुदान धनराशि का 10 प्रतिशत अतिरिक्त पूंजीगत निवेश अनुदान राज्य सरकार द्वारा इकाई के क्रियाशील होने के उपरान्त उपलब्ध कराया जायेगा।
परन्तुक, प्रस्तर-7.1.1 (क) एवं 7.1.2 में प्राविधानित सुविधा प्रस्तर-7.1.1 (ख एवं ग) से आच्छादित प्रस्तावों को अनुमन्य नहीं होगी।
- 7.1.2 ब्याज उपादान:
- (क) योजनान्तर्गत सूक्ष्म एवं लघु खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों द्वारा स्थापित किये गये प्लांट मशीनरी, तकनीकी सिविल कार्य तथा स्पेयर पार्टस पर होने वाले व्यय हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिये गये ऋण पर देय ब्याज की दर का शत-प्रतिशत अधिकतम 05 वर्ष तक प्रतिपूर्ति की जायेगी।
- (ख) अन्य खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों द्वारा स्थापित किये गयेे प्लांट मशीनरी, तकनीकी सिविल कार्य तथा स्पेयर पार्टस पर होने वाले व्यय हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिये गये ऋण पर देय ब्याज की दर पर 07 प्रतिशत की दर से अथवा वास्तविक ब्याज की दर से, जो भी कम हो, अधिकतम 05 वर्ष हेतु अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई रू0 50 लाख की सीमा तक प्रतिपूर्ति की जायेगी।
- परन्तु, प्रस्तर-7.1.1 (क) में प्रस्तावित पूंजीगत उपादान एवं प्रस्तर-7.1.2 में प्रस्तावित बैंकों व वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने की दशा में अनुमन्य ब्याज उपादान सहित पांच वर्षों में अधिकतम धनराशि रू. 250 लाख की सीमा तक ही अनुमन्यता होगी।
- 7.2 रीफर व्हीकल्स/ मोबाइल प्री-कूलिंग वैन क्रय हेतु ब्याज उपादान:
- मिशन की आवश्यकता के दृष्टिगत योजनान्तर्गत रीफर व्हीकल्स/ मोबाइल प्री-कूलिंग वैन के क्रय पर होने वाले व्यय हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिये गये ऋण पर देय ब्याज की दर पर 07 प्रतिशत की दर से अथवा वास्तविक ब्याज की दर से, जो भी कम हो, अधिकतम 05 वर्षो हेतु अधिकतम रू. 50 लाख की सीमा तक प्रतिपूर्ति की जायेगी।
- 7.3 खाद्य प्रसंस्करण विषय में डिग्री/ डिप्लोमा/ सर्टिफिकेट कोर्स चलाने हेतु अवस्थापना सुविधाओं का सृजनः
- राजकीय क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग टेक्नालाॅजी सम्बन्धी डिग्री/डिप्लोमा /सर्टिफिकेट कोर्स चलाने हेतु विश्वविद्यालयों/राजकीय संस्थानों में अवस्थापना सुविधाओं यथा-आधुनिक पुस्तकालय, पाईलट प्लांट, प्रयोगशाला इक्विपमेन्ट के सृजन हेतु होने वाले व्यय पर अधिकतम धनराशि रू.75 लाख तक की सीमा तक अनुदान सहायता उपलब्ध कराई जायेगी।
- 7.4 खाद्य प्रसंस्करण कौशल विकास:
- 7.4.1 उद्यमिता विकास कार्यक्रम संचालित करने के लिए केन्द्र/राज्य सरकार के संस्थान, विकास एवं अनुसंधान संस्थान में उद्यमियों/प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन उद्योगों की स्थापना तक सहयोग प्रदान किया जायेगा। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने वाली देश की शीर्ष संस्थाओं पर चयनित उद्यमियों को उद्योग स्थापना हेतु व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु वास्तविक लागत के आधार पर यह सुविधा प्रदान की जायेगी।
- 7.4.2 प्रदेश की न्याय पंचायतों में 03 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण/शिविरों का आयोजन कर ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी हस्तान्तरण किया जायेगा।
- 7.4.3 न्याय पंचायत स्तर पर प्रशिक्षणोंपरान्त इच्छुक एवं चयनित प्रतिभागियों को एक माह का गहन प्रशिक्षण, जनपदों में स्थित राजकीय खाद्य प्रसंस्करण एवं प्रशिक्षण केन्द्रों पर प्रदान कराया जायेगा। नई योजना लाकर ग्रामीण क्षेत्रों में लघु खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा तथा इसके लिए निर्धारित इकाई लागत पर 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 01 लाख अनुदान सुलभ कराया जायेगा।
- 7.4.4 राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण कर उन्हें खाद्य प्रसंस्करण के उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा। यथावश्यकता इन केन्द्रों को पी0पी0पी0 माॅडल पर संचालित कराया जायेगा।
- 7.5 खाद्य प्रसंस्करण प्रोत्साहन कार्यकलाप:
- खाद्य प्रसंस्करण सम्बन्धी योजनाओं/सुविधाओं/रियायतों तथा इस क्षेत्र में नवीन तकनीक की जानकारी उद्यमियों/बागवानों/नवयुवकों को प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश/मण्डल/जनपद/विकास खण्ड स्तर पर सेमिनार/ संगोष्ठियों/क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन कराया जायेगा।
- 7.6 मानकीकरण प्रोत्साहन प्राविधान:
- खाद्य प्रसंस्करण के उत्पादों का श्रेणीकरण तथा मानकीकरण कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य गुणवत्ता/पर्यावरणीय प्रमाणीकरण एवं एक्रीडिटेशन जैसेः आई.एस.ओ. 14001, आई.एस.ओ. 22000, एच.ए.सी.सी.पी./सेनेट्री/फाइटोसेनेट्री सर्टीफिकेशन आदि हेतु राज्य सरकार द्वारा वास्तविक रूप से भुगतान की गयी फीस एण्ड टेस्टिंग चार्ज के सापेक्ष 50 प्रतिशत अधिकतम रू. 1.50 लाख अनुदान के रूप में प्रतिपूर्ति की जायेगी।
- 7.7 पेटेन्ट/डिजाइन पंजीकरण प्राविधान:
- पेटेन्ट/डिजाइन के पंजीकरण हेतु खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों द्वारा अधिकृत संगठनों/संस्थानों को भुगतान की गयी फीस का 75 प्रतिशत अधिकतम रू. 1.50 लाख अनुदान प्रतिपूर्ति एक बार देय होगी।
- 7.8 बाजार विकास एवं ब्राण्ड प्रोत्साहन प्राविधान:
- प्रदेश में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयांे को विपणन के लिए बाजार विकास एवं ब्राण्ड प्रोत्साहन हेतु निम्नांकित अनुदान एवं रियायतें उपलब्ध करायी जायेंगी:-
- (1) प्रदेश में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को उनके द्वारा उत्पादित उत्पाद के निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद््देश्य से अन्य देशों में उत्पाद का नमूना (सैम्पल) प्रेषित करने पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू.02 लाख प्रति लाभार्थी अनुदान दिया जायेगा। यह अनुदान एक इकाई को एक देश एवं एक नमूना तक सीमित होगा।
- (2) राज्य में उत्पादित प्रसंस्कृत उत्पाद के निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु एयरपोर्ट/समुद्री पोर्ट तक उत्पाद परिवहन पर होने वाले वास्तविक व्यय का 25 प्रतिशत, रू. 10 लाख प्रति वर्ष की अधिकतम सीमा तक 03 वर्षों तक प्रति लाभार्थी अनुदान दिया जायेगा।
- (3) राज्य में उत्पादित प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात प्रोत्साहन हेतु उत्पाद की एफ.ओ.बी. मूल्य का 20 प्रतिशत अधिकतम रू. 20 लाख प्रति वर्ष की दर से अधिकतम 03 वर्षों तक अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।
- 7.9 खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना हेतु बैंकेबुल प्रोजेक्ट्स तैयार करने के लिए सहायता:
- उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण एवं उससे सम्बन्धित उद्यमों की स्थापना के लिए बैंकेबुल प्रोजेक्ट्स हेतु विस्तृत कार्ययोजना (डी.पी.आर.) तैयार कराने हेतु वास्तविक व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम रू0 5 लाख प्रति लाभार्थी अनुदान देय होगा।
8. अन्य सुविधायें
- 8.1 नवीन खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को कच्चे माल की खरीद पर 05 वर्ष की अवधि के लिए मण्डी शुल्क में छूट सम्बन्धित विभाग द्वारा प्रदान की जायेगी। (उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के प्रस्तर-5.9 के अनुसार):
- तत्पश्चात् आगामी 05 वर्षों के लिए नवीन खाद्य प्रसंस्करण इकाई द्वारा मण्डी शुल्क के रूप में जमा की गयी धनराशि की प्रतिपूर्ति उ0प्र0 कृषि उत्पादन मण्डी परिषद् द्वारा ही की जायेगी।
- उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के प्रस्तर-5.3 (डी) के अन्तर्गत एस0जी0एस0टी0 हेतु प्रतिपूर्ति की निर्धारित सीमा एवं व्यवस्था के अनुसार, योजनान्तर्गत अनुमन्य वर्ष में मण्डी शुल्क एवं एस0जी0एस0टी0 (मण्डी शुल्क $एस0जी0एस0टी0 की रूप में जमा की गयी धनराशि का योग) के रूप में जमा की गयी कुल धनराशि की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
- उक्त प्रतिपूर्ति की व्यवस्था अन्य औद्योगिक इकाईयों की भांति औद्योगिक विकास विभाग द्वारा निर्धारित/नामित संस्था द्वारा की जायेगी।
- प्रतिपूर्ति सम्बन्धी उक्त व्यवस्था से कोई अन्य नियम/नीति प्रभावित होने की दशा में इस सीमा तक उक्त नियम/नीति संशोधित समझी जाय।
- 8.2 उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से सम्बन्धित समय-समय पर प्राविधानित सुविधाओं के सुसंगत प्रस्तर लागू होंगे और यह सम्बन्धित विभागों द्वारा उपलब्ध कराये जायेंगे।
9. संस्थागत सुदृढ़ीकरण तथा कार्यरत संस्थाओं का प्रभावी उपयोग
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- 9.1 उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के प्रत्येक जनपद एवं मण्डल स्तर पर स्थित खाद्य प्रसंस्करण केन्द्रों/कार्यालयों का आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण किया जायेगा।
- 9.2 नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु नोडल संस्था, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय होगा। इसके लिए निदेशालय में पृथक सेल बनाया जायेगा।
- 9.3 नामित नोडल संस्था उक्त कार्य के अलावा अन्य सभी स्रोतों जैसे-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार, एपीडा, एन0एच0बी0, कृषि, एम0आई0डी0एच0, कौशल विकास मिशन, आयुष एवं अन्य संस्थाओं से मिलने वाली सहायता के लिए भी नोडल संस्था का कार्य करेगी और उद्यमियों को इनसे प्राप्त होने वाली सहायता में सहयोग करेगा।
10. नीति का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण
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- 10.1 राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति:
नीति के अन्तर्गत प्राविधानों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मुख्य सचिव/ उनके द्वारा प्रतिनिधायित अधिकारी की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति गठित की जायेगी। विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव इसके सदस्य होंगे। प्रमुख सचिव/सचिव, खाद्य प्रसंस्करण इसके संयोजक सचिव होंगे। उद्योग संघों के प्रतिनिधि इसके आमंत्रित सदस्य होंगे।
- 10.2 मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति:
मण्डल स्तर पर नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें मण्डल के सभी जनपदों के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारियों के साथ-साथ सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण सदस्य होंगे। खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र के प्रधानाचार्य/खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी इस कमेटी के सदस्य सचिव होंगे।
- 10.3 जनपद स्तर पर परियोजना क्रियान्वयन समितिः
इस नीति के अन्तर्गत पंूंजी निवेश के प्रस्तावों का कार्यान्वयन जिला प्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से किया जायेगा। नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें जनपद के सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण सदस्य होंगे। जिला प्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र इस समिति के सदस्य सचिव होंगे। जनपदीय उद्यान अधिकारी तथा खाद्य प्रसंस्करण के अधिकारी इसमंे पदेन सदस्य होंगे।
- 10.4 नोडल एजेन्सी/नोडल विभाग:
(1) उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, इस नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण लिए नोडल विभाग होगा।
(2) उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय इस नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए नोडल एजेन्सी होगा।
(3) नीति के क्रियान्वयन एवं उद्यमियों को सहायता हेतु प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट एजेन्सी (पी.एम.ए.) चयनित की जायेगी।
11. प्रकीर्ण
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- नीति के अन्तर्गत आवेदन करने वाली इकाई/संस्था द्वारा किसी अन्य संस्था अथवा भारत सरकार से अनुदान/सहायता प्राप्त की गयी हो, तो इस नीति के अन्तर्गत प्रस्तर-7.1.1 (ख एवं ग) को छोड़कर अन्य प्रस्तरों में अनुमन्य मदों में दी जाने वाली सहायता में से पूर्व में उन्हीं मदों में प्राप्त की गयी सहायता की धनराशि घटा कर अतिरिक्त अनुमन्य सहायता इस नीति से प्रदान की जायेगी।
इकाई/संस्था इस नीति से भिन्न मद हेतु भारत सरकार अथवा अन्य योजना/विभाग से अनुदान प्राप्त करने हेतु स्वतंत्र होंगी।
सभी सम्बन्धित विभागों द्वारा आवश्यक शासनादेश एवं नियमावली निर्गत करते हुए समयबद्ध रूप से नीति का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जायेगा।